📅 प्रकाशन तिथि: 29 जून 2025 | 🕐 समय: 11:30 AM
✍ लेखक: The Rational Herald
इज़राइल की घेराबंदी के चलते गाज़ा में अब तक 66 बच्चों की मौत भूख और कुपोषण से हो चुकी है। UNICEF ने चेताया है कि यह एक मानव निर्मित त्रासदी है। जानिए पूरी रिपोर्ट।
गाज़ा में भूख से मरते बच्चे: क्या मानवता शर्मसार हो रही है?
गाज़ा से आ रही रिपोर्ट्स दिल दहला देने वाली हैं। इज़राइल द्वारा लगाए गए सख्त प्रतिबंधों के कारण गाज़ा में अब तक 66 बच्चों की मौत कुपोषण से हो चुकी है। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, दूध, पोषण पूरक और खाद्य सहायता को इज़राइली घेराबंदी के तहत रोक दिया गया है।
यह आंकड़े संयुक्त राष्ट्र की बाल एजेंसी UNICEF की चेतावनी के बाद आए हैं, जिसमें बताया गया है कि गाज़ा में कुपोषित बच्चों की संख्या ‘चौंकाने वाली दर’ से बढ़ रही है।
पोषण संकट: हर दिन 112 बच्चे इलाज के लिए पहुंचे
UNICEF के अनुसार, जनवरी से मई 2025 तक 16,736 बच्चे, यानी औसतन प्रति दिन 112 बच्चे, तीव्र कुपोषण के इलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती किए गए।
UNICEF के क्षेत्रीय निदेशक एडवर्ड बेगबेडर ने कहा:
“ये सभी मौतें रोकी जा सकती थीं। यह पूरी तरह मानवीय निर्णयों का परिणाम है, जो जीवन की कीमत पर लिए जा रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि इज़राइल को तुरंत सभी सीमाओं से बिना शर्त मानवीय सहायता पहुंचने देनी चाहिए।
इज़राइली हमले और बढ़ती मौतें
एक ओर भूख, दूसरी ओर बमबारी। हाल ही में गाज़ा सिटी के तुफ़्फ़ाह इलाक़े में इज़राइली हवाई हमलों में 60 से अधिक फिलीस्तीनियों की जान गई, जिनमें कम से कम 20 लोग और 9 बच्चे शामिल थे।
Haaretz के अनुसार, इज़राइली सेना को आदेश था कि GHF साइट्स पर मदद मांगते आम लोगों को भी गोली मार दी जाए।
गाज़ा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन (GHF) और सहायता पर संकट
इज़राइल द्वारा संचालित GHF ही गाज़ा में भोजन का एकमात्र साधन बचा है, लेकिन इसकी संचालन प्रणाली पर भारी आलोचना हो रही है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा:
“GHF का संचालन असुरक्षित और घातक है। यह वैश्विक मानवतावादी सिद्धांतों का उल्लंघन है।”
अब तक GHF साइट्स के पास 550 से अधिक नागरिक मारे जा चुके हैं, जिनमें अधिकांश भोजन लेने पहुंचे थे।
क्या यह ‘युद्ध अपराध’ है?
गाज़ा मीडिया कार्यालय का बयान स्पष्ट है: “इज़राइल जानबूझकर भूख का इस्तेमाल बच्चों की हत्या के लिए कर रहा है। यह एक युद्ध अपराध है।” उन्होंने इस त्रासदी के लिए इज़राइल के साथ अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी को भी जिम्मेदार ठहराया है।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से अपील की है कि वह तुरंत हस्तक्षेप कर सभी मार्गों को खोलें ताकि सहायता गाज़ा पहुंच सके।
अंतरराष्ट्रीय चुप्पी: किसके पक्ष में है मौन?
इस क्रूर वास्तविकता के बीच, वैश्विक शक्तियां चुप हैं। क्या यह मौन उनकी सहमति का संकेत है? क्या भूख से मरते बच्चे केवल एक ‘आँकड़ा’ बन चुके हैं?
Al Jazeera की रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि यह मानव निर्मित त्रासदी है, जिसे टाला जा सकता था।
कब जागेगा विश्व?
गाज़ा बच्चों की मौत सिर्फ एक स्थानीय मुद्दा नहीं है, यह पूरी मानवता पर धब्बा है। संयुक्त राष्ट्र, मानवाधिकार संगठनों और वैश्विक नेताओं को इस पर तत्काल और निर्णायक कदम उठाने होंगे
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