
📅 प्रकाशन तिथि: 26 जून 2025 | 🕐 समय: 7:30 PM
✍ लेखक: The Rational Herald
डोनाल्ड ट्रंप ने नेतन्याहू के भ्रष्टाचार मामले को “विच-हंट” बताते हुए मुकदमा खत्म करने या माफी की मांग की है। जानिए क्या यह इजरायल की न्याय प्रणाली पर दबाव है?
“नेतन्याहू को तुरंत माफी दी जाए या मुकदमा रद्द किया जाए। ये एक महानायक के खिलाफ विच-हंट है।”
नेतन्याहू का मामला क्या है?
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर वर्ष 2019 में घूस, धोखाधड़ी और विश्वासघात के आरोप लगे थे। मुकदमा 2020 में शुरू हुआ और वर्तमान में तीन आपराधिक मामलों की सुनवाई चल रही है। नेतन्याहू ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए खुद को निर्दोष बताया है।
Al Jazeera Report
3 जून 2025 से तेल अवीव की एक अदालत में उनकी जिरह शुरू हुई, जो अनुमानतः एक साल तक चलेगी। इजरायल के राष्ट्रपति इसाक हर्ज़ोग के पास उन्हें माफ़ करने का अधिकार है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसी कोई सिफारिश फिलहाल नहीं आई है और यह विषय “विचाराधीन नहीं” है।
ट्रंप का हस्तक्षेप: स्वतंत्र देश में विदेशी दखल?
25 जून को ट्रंप ने Truth Social पर लिखा:
“बिबी नेतन्याहू का मुकदमा तुरंत रद्द किया जाए या उन्हें क्षमा दी जाए। अमेरिका ने इजरायल को बचाया है, और अब अमेरिका ही बिबी नेतन्याहू को भी बचाएगा।”
उन्होंने इसे “विच-हंट” करार देते हुए कहा कि एक ऐसे नेता के साथ यह अन्याय है जिसने देश के लिए बहुत कुछ किया है।
इजरायल की राजनीति में हलचल
ट्रंप के बयान से इजरायल की राजनीति में बहस छिड़ गई:
- याइर लैपिड (विपक्ष के नेता): “ट्रंप को किसी स्वतंत्र देश की न्यायिक प्रक्रिया में दखल नहीं देना चाहिए।”
- अरियल केल्नर (लिकुड पार्टी): “विदेशी दखल के खिलाफ हूं। न्यायिक प्रणाली को आत्मनिरीक्षण की जरूरत है।”
इटामार बेन-गवीर (राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री): “ट्रंप सही हैं। यह न्यायिक तंत्र द्वारा लोकतंत्र के खिलाफ साजिश है। सिस्टम में सुधार जरूरी है।”
- क्या ट्रंप का विरोधाभास उजागर हुआ?
ट्रंप ने एक दिन पहले ही इजरायल द्वारा संघर्षविराम के बाद ईरान पर किए गए हमले की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था:
“जैसे ही हमने समझौता किया, इजरायल ने बमबारी शुरू कर दी। मैं इससे खुश नहीं हूं।”
इससे साफ है कि ट्रंप नेतन्याहू के समर्थन और निंदा के बीच झूलते दिख रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और कानून
इजरायल के कानून के अनुसार, एक लोकतांत्रिक और स्वतंत्र देश में न्यायिक प्रक्रिया में बाहरी दबाव को अवांछनीय माना जाता है। ट्रंप का यह बयान उनके निकट संबंधों को तो उजागर करता है लेकिन न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप की आशंका भी बढ़ाता है।
नेतन्याहू का भविष्य किस दिशा में?
डोनाल्ड ट्रंप का हस्तक्षेप ना सिर्फ इजरायली न्याय प्रणाली की स्वतंत्रता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह एक वैश्विक उदाहरण बन गया है कि किस तरह राजनीतिक रिश्ते न्याय पर प्रभाव डाल सकते हैं।
इस केस का फैसला चाहे जो हो, लेकिन यह साफ है कि नेतन्याहू भ्रष्टाचार मामला अब सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं रहा, बल्कि इसमें अंतरराष्ट्रीय राजनीति भी शामिल हो चुकी है।
अतिरिक्त विश्लेषण: नेतन्याहू और ट्रंप की नजदीकी क्या दर्शाती है?
यह मामला केवल कानूनी नहीं बल्कि राजनैतिक समीकरणों का भी प्रतिबिंब बन गया है। ट्रंप द्वारा नेतन्याहू को ‘हीरो’ बताना और अमेरिका को ‘बचाने वाला’ कहना, यह दिखाता है कि वैश्विक नेता किस तरह न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। सवाल यह उठता है कि क्या ऐसे बयान लोकतांत्रिक संस्थाओं की निष्पक्षता पर दबाव नहीं बनाते?
इसके साथ ही ट्रंप की टिप्पणियां इस बात को भी दर्शाती हैं कि अमेरिका की विदेश नीति में व्यक्तिगत रिश्तों और राजनीतिक हितों का कितना गहरा प्रभाव हो सकता है। अगर नेतन्याहू को माफी दी जाती है, तो यह मिसाल बन सकती है कि वैश्विक नेता आपसी संबंधों के बल पर न्यायिक फैसलों को प्रभावित कर सकते हैं।