
📅 प्रकाशन तिथि: 4 जुलाई 2025 | 🕐 समय: 10:00 AM
✍ लेखक: The Rational Herald
महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या पर राहुल गांधी ने मोदी सरकार को घेरा, बोले – सरकार तमाशा देख रही है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्याओं पर बवाल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में बढ़ती किसान आत्महत्याओं पर केंद्र की मोदी सरकार को जमकर आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की पीड़ा को अनदेखा कर रही है, जबकि हर दिन किसान कर्ज़ में डूबकर आत्महत्या कर रहे हैं।
“सिर्फ तीन महीनों में महाराष्ट्र में 767 किसानों ने आत्महत्या की है। क्या ये सिर्फ आंकड़ा है? नहीं, ये 767 उजड़े हुए घर हैं।” — राहुल गांधी
आत्महत्या के आँकड़े और सरकारी चुप्पी
महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष ने आत्महत्या के मुद्दे को उठाया। विजय वडेट्टीवार ने बताया कि जनवरी से मार्च 2025 के बीच 767 किसानों ने आत्महत्या की। इनमें से 200 मामलों को सरकार ने सहायता के लिए अयोग्य बताया है और 194 मामलों की जांच लंबित है।
राहुल गांधी ने कहा कि सरकार चुप है, केवल तमाशा देख रही है।
किसानों की बदहाली की वजहें
राहुल गांधी ने ट्वीट में सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा:
- बीज, खाद, डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कोई गारंटी नहीं
- कर्ज़माफी की मांग पर किसानों को नज़रअंदाज़ किया जाता है
- लेकिन अमीरों के लोन माफ कर दिए जाते हैं (जैसे: अनिल अंबानी का ₹48,000 करोड़ SBI “फ्रॉड”)
राहुल गांधी का तीखा बयान
उन्होंने लिखा:
“मोदी जी ने कहा था कि किसान की आमदनी दोगुनी करेंगे, आज हालत ये है कि किसान की ज़िंदगी ही आधी हो रही है। यह सिस्टम किसानों को धीरे-धीरे मार रहा है।”
बीजेपी का पलटवार
बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए दावा किया:
“कांग्रेस-एनसीपी के 15 साल के शासनकाल में 55,928 किसानों ने आत्महत्या की थी।”
उन्होंने राहुल गांधी पर महाराष्ट्र में कांग्रेस की पुरानी नाकामियों को भुलाने का आरोप लगाया।
क्या MSP की गारंटी हल है?
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि MSP पर कानूनी गारंटी देना, कृषि बीमा स्कीम्स में सुधार, और सस्ती कृषि इनपुट्स किसानों की मदद कर सकते हैं। लेकिन नीतिगत इच्छाशक्ति की कमी मुख्य समस्या बनी हुई है।
इसके अलावा, किसानों के लिए कर्ज़ माफी योजनाओं को पारदर्शी बनाना और समय पर लागू करना भी आवश्यक है। खेती को लाभकारी व्यवसाय बनाने के लिए कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन और स्थानीय स्तर पर बाज़ार उपलब्धता को बढ़ावा देना चाहिए। साथ ही, कृषि में टेक्नोलॉजी के समावेश से उत्पादकता और आय दोनों में वृद्धि हो सकती है।
कृषि विश्वविद्यालयों और रिसर्च संस्थानों को किसानों से जोड़ा जाना चाहिए, ताकि नवीनतम तकनीकों और उन्नत फसलों की जानकारी सीधे खेतों तक पहुँचे। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी संस्थाओं को सशक्त बनाकर किसानों को संगठित किया जा सकता है, जिससे उन्हें बाज़ार में बेहतर दाम और सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।
राजनीति बनाम हकीकत
किसान आत्महत्याएं सिर्फ राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का विषय नहीं होनी चाहिए। यह एक राष्ट्रीय आपदा है, जिसे राजनीति से ऊपर उठकर हल करना होगा।
- किसानों की आत्महत्या पर कार्रवाई जरूरी
- MSP और कृषि सहायता की ज़रूरत
- केंद्र और राज्य को मिलकर नीति बनानी चाहिए