OpenAI: OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने बैंकों को चेताया है कि AI वॉयस क्लोनिंग तकनीक से वॉयस ऑथेंटिकेशन प्रणाली पूरी तरह असुरक्षित हो चुकी है। जानिए कैसे यह तकनीक बैंकिंग सुरक्षा में बड़ा खतरा बन रही है और संस्थानों को तत्काल अपडेट क्यों करना चाहिए। Focus Keyword: OpenAI
OpenAI: OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने बैंकों को चेताया है कि AI वॉयस क्लोनिंग तकनीक से वॉयस ऑथेंटिकेशन प्रणाली पूरी तरह असुरक्षित हो चुकी है। जानिए कैसे यह तकनीक बैंकिंग सुरक्षा में बड़ा खतरा बन रही है और संस्थानों को तत्काल अपडेट क्यों करना चाहिए। Focus Keyword: OpenAI

OpenAI CEO ने किया बैंकिंग सेक्टर को सतर्क: AI आधारित वॉयस क्लोनिंग से ‘आसन्न धोखाधड़ी संकट’

📅 प्रकाशन तिथि:  23 जुलाई 2025 | 🕐 समय: 08:00 AM
लेखक: The Ratioal Herald

OpenAI: OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने बैंकों को चेताया है कि AI वॉयस क्लोनिंग तकनीक से वॉयस ऑथेंटिकेशन प्रणाली पूरी तरह असुरक्षित हो चुकी है। जानिए कैसे यह तकनीक बैंकिंग सुरक्षा में बड़ा खतरा बन रही है और संस्थानों को तत्काल अपडेट क्यों करना चाहिए।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का विस्तार हमारे जीवन के हर क्षेत्र में हो रहा है, लेकिन अब यह बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों के लिए गंभीर चुनौती बनता जा रहा है। OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने हाल ही में चेतावनी दी है कि AI की मदद से इंसानों की आवाज़ की हूबहू नकल करने वाली तकनीक आने वाले दिनों में बैंकों के लिए ‘बड़ा धोखाधड़ी संकट’ पैदा कर सकती है।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे ऑल्टमैन की चेतावनियों, वॉयसप्रिंट ऑथेंटिकेशन की हार, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की प्रतिक्रिया, और बढ़ते वित्तीय जोखिमों की पूरी कहानी।

OpenAI वॉयस क्लोनिंग: बैंकों के लिए नई चुनौती

OpenAI के सैम ऑल्टमैन ने हाल ही में वाशिंगटन में आयोजित फेडरल रिजर्व कॉन्फ्रेंस में बैंकों को सतर्क करते हुए कहा कि पुराने ऑथेंटिकेशन सिस्टम अब बेअसर साबित हो रहे हैं।
AI आधारित वॉयस क्लोनिंग इतनी परिष्कृत हो चुकी है कि साइबर अपराधी किसी की भी आवाज़ को हूबहू दोहरा सकते हैं, जिससे पारंपरिक वॉयस-आधारित सुरक्षा कमजोर पड़ गई है।

  • ऑल्टमैन ने क्या कहा?
    “वॉयसप्रिंट आधारित सुरक्षा सिस्टम अब अप्रचलित हो चुके हैं, और जल्द ही बड़े पैमाने पर फ्रॉड की घटनाएं हो सकती हैं। बैंकों को नए सिरे से अपनी ऑथेंटिकेशन प्रणाली को बदलना होगा।”

आज के समय में ऐसे AI टूल्स बन चुके हैं जिनकी सहायता से किसी भी व्यक्ति की आवाज़ का तीन सेकंड का रिकॉर्ड पर्याप्त है उसके बोलने का तरीका दोनों – style और द accent – कॉपी करने के लिए। इसी वजह से ये तकनीक सुरक्षा में बड़ी सेंध लगा रही है।

‘वॉयसप्रिंट ऑथेंटिकेशन’ का अंत

वॉयसप्रिंट प्रमाणीकरण लगभग एक दशक पहले अनेक बैंकों में खासकर प्रीमियम ग्राहकों के लिए शुरू किया गया था— ग्राहक को अपने अकाउंट की सुरक्षा के लिए फोन पर एक फ्रेज बोलनी होती थी।
लेकिन ऑल्टमैन ने चेतावनी दी कि आज की AI क्लोनिंग तकनीक इन वॉयसप्रिंट्स को पूर्णतया “defeat” कर चुकी है।

“मुझे डर सताता है कि आज भी कुछ बैंक वॉयसप्रिंट को प्रमाणीकरण के लिए मान्य मानते हैं।
यह सरासर ग़लत है— AI ने इसे पूरी तरह विफल कर दिया है।”
— सैम ऑल्टमैन

अब स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि AI वॉयस क्लोनिंग “reality से indistinguishable” बन चुकी है। यानी, वित्तीय संस्थाओं को पुराने तरीकों को छोड़ नए, मजबूत समाधान अपनाने होंगे।
ऑल्टमैन ने कहा कि खतरा अभी ‘बहुत-बहुत जल्द’ ही आने वाला है। अपराधियों को उन्नत तकनीक की जरूरत नहीं, मौजूदा टूल्स से ही वे बड़े पैमाने पर फ्रॉड कर सकते हैं।

फेडरल रिजर्व: मिलकर समाधान की तैयारी

इस गंभीर मुद्दे पर यूएस फेडरल रिजर्व भी सतर्क दिखा।
फेडरल रिजर्व की वाइस चेयर मिशेल बोमन ने कहा,

“शायद हम इस विषय पर साझेदारी के साथ काम कर सकते हैं।”

इस चर्चा के बाद स्पष्ट हुआ कि रेग्युलेटरी अथॉरिटी भी अब AI आधारित धोखाधड़ी की चुनौती को गंभीरता से ले रही है।
एक हालिया रिसर्च के मुताबिक, अमेरिका के 91% बैंक अब अपने वॉयस ऑथेंटिकेशन सिस्टम की समीक्षा कर रहे हैं।

बढ़ता वित्तीय खतरा: डीपफेक फ्रॉड का प्रभाव

फ्रॉड विशेषज्ञों के अनुसार, डीपफेक से जुड़ी धोखाधड़ी से 2023 में जहां 12 अरब डॉलर का नुकसान हुआ, वहीं 2027 तक यह बढ़कर 40 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
Consumer Reports के अनुसार, AI क्लोनिंग टूल्स को सिर्फ 3 सेकंड की रिकॉर्डिंग चाहिए जिससे पत्रकारों ने बड़े-बड़े बैंकों के सिस्टम को भी पार कर दिया है।

राजनीतिक और वित्तीय हलकों में हलचल मच चुकी है— ये तकनीक दुनियाभर के लिए अलार्म है।
ऑल्टमैन का वाशिंगटन दौरा अमेरिकी अर्थव्यवस्था में AI के सकारात्मक ‘डेमोक्रेटिक’ उपयोग पर भी केंद्रित था, लेकिन सुरक्षा पहलु सर्वाधिक महत्वपूर्ण बन गए हैं।

बैंकों के लिए सुझाव एवं भविष्य की राह

  • सभी वित्तीय संस्थाओं को वॉयसप्रिंट आधारित प्रमाणीकरण तकनीक तुरंत हटानी चाहिए।

  • मल्टी-फैक्टर अथेंटिकेशन, बायोमेट्रिक सिस्टम या AI-रेसिस्टेंट वेरीफिकेशन विधियां लागू करनी होंगी।

  • रीयल टाइम फ्रॉड डिटेक्शन और एडवांस्ड कस्टमर एजुकेशन जरूरी हैं।

  • रेग्युलेटरी संस्थाएं, बैंकिंग सेक्टर और टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों के बीच सहयोग आवश्यक है।

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AI आधारित वॉयस क्लोनिंग तकनीक ने बैंकिंग सेक्टर के लिए एक नई और गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। सैम ऑल्टमैन की चेतावनी बैंकों के लिए अब भी चेतावनी-सूचक है— जितनी जल्दी वे सुरक्षा प्रणालियों को अपडेट करेंगे, उतना ही बेहतर रहेगा।

बैंकिंग ग्राहक भी अब जागरूक रहें, और हर संदिग्ध कॉल, SMS, या ईमेल से सतर्क रहें। नियामक और बैंकिंग उद्योग का कर्तव्य है कि वे सामूहिक रूप से इस आसन्न ‘AI फ्रॉड क्राइसिस’ से निपटने के लिए तुरंत और ठोस कदम उठाएं।

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