📅 प्रकाशन तिथि: 17 जुलाई 2025 | 🕐 समय: 10:00 AM
✍ लेखक: The Ratioal Herald
बिहार में 35 लाख मतदाताओं के नाम हटाने की ताजा खबर, जानें पूरी प्रक्रिया, वजह, विवाद और जनता क्या कर सकती है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से जुड़ी हर जरूरी जानकारी पढ़ें।
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले 35 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम मतदाता सूची (Electoral Roll) से हटाए जाने की खबर ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है। यह प्रक्रिया चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची को शुद्ध और ताजा रखने के मकसद से की जा रही है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि यह प्रक्रिया क्या है, इसके क्या कारण हैं, इसमें कौन-कौन से विवाद सामने आए हैं और आम जनता की इसमें क्या भूमिका है।

मुख्य जानकारी: 35 लाख नाम क्यों हटाए जा रहे हैं?
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चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को दुरुस्त करने के लिए एक विशेष अभियान चलाया।
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35 लाख नामों की सूची से हटाए गए, जिनमें वे लोग शामिल हैं:
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जो या तो अब जीवित नहीं हैं (लगभग 12.5 लाख)।
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जो स्थायी रूप से बाहर चले गए (लगभग 17.5 लाख)।
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डुप्लीकेट या तकनीकी गड़बड़ियों वाले नाम।
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आयोग के अनुसार, जिनके नाम हटाए गए हैं, या हटने की संभावना है, उन्हें नोटिस भेजा जाएगा और कारण बताया जाएगा।
विस्तृत कारण
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मृत मतदाता: कई सालों से मृतकों के नाम सूची में बने हुए थे।
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राज्य से बाहर स्थायी रूप से स्थानांतरित नागरिक: आंकड़ों के अनुसार सबसे बड़ी संख्या इन्हीं की है।
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डुप्लीकेट नाम: दोहराव रोकना अनिवार्य था।
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अन्य तकनीकी त्रुटियाँ: गलत पते या अपूर्ण दस्तावेज़।
यह प्रक्रिया क्यों महत्वपूर्ण है?
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चुनाव की पारदर्शिता: फर्जी वोटिंग रोकने के लिए।
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विश्वसनीयता: चुनावी प्रक्रिया की साख बढ़ाने के लिए।
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राजनीतिक असर: 2025 विधानसभा चुनावों में इसका असर बहस का विषय है।
मीडिया और सोशल मीडिया में विवाद
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इस बड़े कदम की पुष्टि जैसे ही हुई, मीडिया में चर्चाएं तेज हो गईं।
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प्रसिद्ध पत्रकार रवीश कुमार समेत कई पत्रकारों ने प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए।
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चुनाव आयोग से मांग की गई कि पूरी प्रक्रिया को पूरी तरह सार्वजनिक किया जाए ताकि कोई भी असली मतदाता गलत तरीके से सूची से बाहर न हो।
मतदाताओं के लिए क्या जरूरी?
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अपना नाम सूची में जांचें: चुनाव आयोग की वेबसाइट या नजदीकी कार्यालय पर जाकर।
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कोई गड़बड़ी हो तो तुरंत फॉर्म 6 भरें या शिकायत करें।
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अतिरिक्त जानकारी के लिए आप Election Commission of India (DA: 62) पर भी जा सकते हैं।
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नाम हटाए जाने का कारण जानने के लिए ERO कार्यालय से संपर्क करें।
विशेषज्ञों की राय और सार्वजनिक प्रतिक्रिया
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विश्लेषकों के मुताबिक, इतने बड़े पैमाने पर नाम हटाना एक अभूतपूर्व कदम है।
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जनता में चिंता है कि कहीं असली मतदाता सूची से बाहर न हो जाएं।
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चुनाव आयोग की पारदर्शी प्रक्रिया पर जनता की नजरें टिकी हैं।
आगे की प्रक्रिया
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फॉर्म 6 भरना: यदि किसी का नाम गलती से कट गया है तो वह फॉर्म 6 भरकर पुनः सम्मिलित करवा सकता है।
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ऑनलाइन जांच: NVSP Portal (DA: 51) और बिहार राज्य चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपना नाम जांच सकते हैं।
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एप और टोल फ्री नंबर: मोबाइल ऐप और टोल फ्री नंबर की सहायता से भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
निष्कर्ष
बिहार में 35 लाख मतदाताओं के नाम हटाना निश्चय ही एक बड़ा प्रशासनिक फैसला है, जो चुनावी पारदर्शिता और शुचिता के उद्देश्य से उठाया गया है। अधिकारियों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और जनता की जिम्मेदारी है कि वे इस प्रक्रिया को निष्पक्ष तथा पारदर्शी बनाए रखने में सहयोग करें।
यदि आप बिहार में मतदाता हैं तो अपने अधिकारों की जानकारी रखें और जरूरी कार्रवाई समय रहते करें।
“लोकतंत्र महत्वपूर्ण है तभी जब हर योग्य नागरिक की आवाज़ सुनी जाए। अपने मतदाता के अधिकार को सुरक्षित रखें, सतर्क रहें और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हिस्सा लें!”
यह ब्लॉग द रैशनल हेरल्ड द्वारा लिखा गया, और इसमें चुनाव आयोग एवं मीडिया रिपोर्ट्स से प्राप्त जानकारी का उपयोग किया गया है।
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