बिहार मतदाता सूची संशोधन अगस्त 2025 में देश की राजनीति का केंद्र बन गया है। चुनाव आयोग के विशेष इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बाद, विपक्षी दलों ने वोटर लिस्ट के डिजिटल फॉर्मेट की जगह स्कैन की गई इमेज और लाखों वोटरों के नाम हटाए जाने का विरोध जोर-शोर से किया। नई दिल्ली, 11 अगस्त 2025 — आज दिल्ली की सड़कों पर लोकतंत्र और मताधिकार के मुद्दे पर बड़ा राजनीतिक संग्राम देखने को मिला। संसद से चुनाव आयोग तक विपक्षी दलों ने विशाल मार्च किया, जिसका नेतृत्व राहुल गांधी और अन्य INDIA ब्लॉक नेताओं ने किया। यह विरोध बिहार में मतदाता सूची संशोधन के खिलाफ था, जिसे विपक्ष ‘लोकतंत्र पर हमला’ बता रहा है

बिहार मतदाता सूची संशोधन क्या है?
बिहार में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची की विशेष संशोधन प्रक्रिया शुरू की है। इस प्रक्रिया में:
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केवल चुनिंदा दस्तावेज़ों को मान्यता दी गई है।
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आधार कार्ड, जो देश का सबसे व्यापक पहचान दस्तावेज है, को मान्य सूची में शामिल नहीं किया गया।
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ग्रामीण और गरीब तबकों में ज़रूरी कागज़ात की कमी के कारण लाखों लोगों के नाम मतदाता सूची से कट सकते हैं।
कई विशेषज्ञ और विपक्षी नेता इसे असम NRC 2019 की तरह मानते हैं, जिसमें लाखों लोग नागरिकता सूची से बाहर रह गए थे।
विशेष इंटेंसिव रिवीजन (SIR) क्या है?
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SIR चुनाव आयोग बिहार द्वारा बड़े पैमाने पर मतदाता सूची अपडेट प्रक्रिया है, जिसमें 2003 के बाद पहली बार घर-घर जाकर 8 करोड़ वोटरों का सत्यापन हुआ।
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लगभग 1 लाख BLO और हजारों वालंटियर्स ने सर्वे किया।
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अगर कोई वोटर 2003 की सूची में शामिल नहीं था, तो उसे अतिरिक्त दस्तावेज़ देने पड़े—जिससे युवा, प्रवासी और वंचित वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए।
विवाद क्यों शुरू हुआ?
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EC ने 1 अगस्त 2025 को संशोधित सूची जारी की, जिसमें 65 लाख से अधिक नाम (6.5 मिलियन) हटाए गए—कई को मृत, डुप्लीकेट या स्थानांतरण के कारण वर्गीकृत किया।
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पहले जो डिजिटल सर्चेबल वोटर लिस्ट थी, उसकी जगह स्कैन की गई इमेज लागू कर दी गई, जिससे गलती पकड़ना और विश्लेषण कठिन हो गया।
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विपक्ष ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि जानबूझकर लाखों लोगों को, खासतौर से मुस्लिम बाहुल्य जिलों में, मतदाता अधिकार से वंचित किया गया।
संसद से चुनाव आयोग मार्च: प्रतीक और संदेश
मार्च का रूट और महत्व
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शुरुआत: संसद भवन का मकर द्वार
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अंत: चुनाव आयोग मुख्यालय, नई दिल्ली
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दूरी: लगभग 1.5 किलोमीटर
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मार्च का संदेश साफ था — लोकतांत्रिक संस्थाओं को जनता के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।
मार्च में शामिल प्रमुख नेता
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राहुल गांधी – कांग्रेस नेता
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प्रियंका गांधी वाड्रा – कांग्रेस महासचिव
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मल्लिकार्जुन खड़गे – कांग्रेस अध्यक्ष
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अखिलेश यादव – समाजवादी पार्टी अध्यक्ष, जिन्होंने पुलिस बैरिकेड फांदकर सुर्खियां बटोरीं
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शरद पवार – एनसीपी सुप्रीमो
- उद्धव ठाकरे – शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख
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11 अगस्त 2025 – प्रदर्शन के मुख्य बिंदु
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300+ विपक्षी सांसदों ने संसद से चुनाव आयोग दिल्ली तक मार्च किया, जिनमें राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव, मल्लिकार्जुन खड़गे, समेत कई नेता शामिल रहे।
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प्रदर्शनकारियों ने “SIR+वोट चोरी= लोकतंत्र की हत्या” लिखी टोपी पहनकर “SIR रद्द करो, वोट चोरी बंद करो” की आवाज उठाई।
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पुलिस ने ट्रांसपोर्ट भवन पर बैरिकेड लगाए, मार्च को रोक दिया और कई नेताओं को हिरासत में ले लिया।
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CPI-ML व अन्य दलों ने रांची, झारखंड में अलग से प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपा।
विपक्ष के आरोप
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वोटर अधिकारों का हनन: 65 लाख असली वोटरों के नाम हटे, खास असर अल्पसंख्यक, प्रवासी व युवा वर्ग पर।
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पारदर्शिता की कमी: EC ने हटाए गए वोटरों का पूरा डाटा या धार्मिक/जातीय विवरण जारी नहीं किया, स्कैन सूची से जांच और विश्लेषण नामुमकिन।
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राजनीतिक लाभ: भाजपा को फायदा पहुंचाने और विपक्षी समर्थकों को निशाना बनाने का आरोप।
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विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, और बूथवार वोटर डिलीशन का डाटा मांगा।
तकनीकी मसला: डिजिटल बनाम स्कैन इमेज वोटर लिस्ट
डिजिटल फॉर्मेट बनाम स्कैन इमेज फॉर्मेट की तुलना:
फीचर | डिजिटल सूची | स्कैन इमेज सूची |
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सर्च करना | हां | नहीं |
मशीन पढ़ना | हां | नहीं |
डेटा निकालना | आसान | कठिन |
त्रुटियों का पता | जल्दी | धीमा |
फाइल साइज़ | छोटा | बड़ा |
AI/सॉफ्टवेयर विश्लेषण | संभव | असंभव |
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स्कैन की गई वोटर लिस्ट बिहार में विश्लेषण कठिन, पारदर्शिता घटी।
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डेटा वैज्ञानिकों ने यूपी-बिहार की द्वि-मतदाता और गलतियां पाई, EC की सफाई के बावजूद।
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EC का कहना है, यह गोपनीयता और कानून अनुरूप किया गया; विपक्ष में शंका है।
कानूनी लड़ाई और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
कई याचिकाओं में EC के SIR पर रोक, वोटर अधिकारों के हनन, और संविधान के उल्लंघन के आरोप।
सुप्रीम कोर्ट ने EC से डिलीशन के आधार और प्रमाण मांगे, साथ ही वोटर वेरिफिकेशन में आधार व वोटर-ID की जगह को स्पष्ट करने के लिए कहा।
EC ने तर्क दिया कि कानून में डिलीटेड वोटरों की सार्वजनिक सूची देने की अनिवार्यता नहीं।याचिकाकर्ता (ADR समेत) पारदर्शिता और वंचित वर्ग की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।
जमीनी हकीकत: आम वोटर का अनुभव
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स्थानीय समाचारों में जिंदा लोगों के नाम गायब, मृत लोगों के नाम सूची में, एक निर्वाचन क्षेत्र में 5000 से ज्यादा डुप्लीकेट पाए गए।
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BLO को दस्तावेजी नियम समझने में परेशानी, कई बार प्रक्रियाएं बदलती रही।
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युवा वोटर—1987 के बाद जन्मे—को विशेष दस्तावेज दिखाने पड़े अगर उनका नाम 2003 में नहीं था।
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संशोधन का मौका 1 सितंबर 2025 तक है, लेकिन प्रक्रिया आम मतदाता के लिए जटिल है।
चुनावी पारदर्शिता और भविष्य के खतरे
विवाद ने बिहार में चुनावी पारदर्शिता और वोटर अधिकारों पर देशभर में बहस तेज की।
विपक्ष का आरोप है कि चुनाव से पहले जनता का भरोसा कमजोर हुआ, चुनावी निष्पक्षता खतरे में।
EC लगातार सफाई दे रहा है कि कोई भी पात्र वोटर पूर्ण प्रक्रिया के बिना सूची से नहीं हटेगा।
मीडिया रिपोर्टिंग और सोशल मीडिया पर बहस ने, चुनाव आयोग और सरकार पर पारदर्शिता लाने का दबाव बढ़ाया है।
पुलिस का एक्शन और नेताओं की गिरफ्तारी
दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर मार्च के रास्ते में बैरिकेड लगाए।
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प्रदर्शनकारियों के आगे बढ़ने पर कई वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में लिया गया।
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हिरासत में लिए गए नेताओं में राहुल गांधी भी शामिल थे।
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नेताओं को अस्थायी हिरासत केंद्रों में ले जाया गया और बाद में रिहा कर दिया गया।
राहुल गांधी की गिरफ्तारी – “दिल्ली में विरोध के दौरान राहुल गांधी की गिरफ्तारी”
नेताओं के बयान और राजनीतिक प्रतिक्रिया
विपक्ष का रुख
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उद्धव ठाकरे: “आज पूरी दुनिया ने भारत में लोकतंत्र की हत्या देखी।”
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मल्लिकार्जुन खड़गे: “यह सिर्फ बिहार का मुद्दा नहीं है, यह हर भारतीय के मताधिकार का सवाल है।”
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राहुल गांधी: “हम मताधिकार छीनने नहीं देंगे, चाहे कितनी भी गिरफ्तारियां क्यों न हों।”
सरकार का पक्ष
सरकार का कहना है कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची को साफ और सही रखने के लिए है, ताकि फर्जी नाम हटाए जा सकें।
मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया
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ट्विटर/X पर ट्रेंडिंग हैशटैग: #RahulGandhiDetained, #SaveDemocracy, #BiharVoterList
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टीवी चैनलों ने पूरे दिन लाइव कवरेज चलाई।
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देश के कई हिस्सों में समर्थन मार्च की घोषणाएं।
निष्कर्ष और अपील
दिल्ली में विपक्ष का विरोध प्रदर्शन सिर्फ एक राजनीतिक घटना नहीं, बल्कि लोकतंत्र के मूल्यों पर चर्चा का मौका भी है।
अगर आप लोकतंत्र को मजबूत बनाना चाहते हैं:
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अपना मतदाता पंजीकरण समय पर करें।
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सही और भरोसेमंद स्रोतों से जानकारी लें।
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लोकतांत्रिक संवाद में भाग लें।
4. FAQ सेक्शन
प्र1: दिल्ली में विपक्ष का विरोध क्यों हुआ?
यह विरोध बिहार में मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया के खिलाफ था, जिसे विपक्ष मताधिकार हनन मानता है।
प्र2: किन नेताओं को हिरासत में लिया गया?
राहुल गांधी समेत कई वरिष्ठ विपक्षी नेताओं को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया।
प्र3: बिहार मतदाता सूची विवाद क्या है?
संशोधन प्रक्रिया में केवल कुछ दस्तावेज मान्य हैं, आधार कार्ड को मान्यता नहीं मिली है।
प्र4: मार्च का रूट क्या था?
मार्च संसद के मकर द्वार से चुनाव आयोग मुख्यालय तक किया गया।
प्र5: सरकार का इस पर क्या कहना है?
सरकार का दावा है कि यह कदम मतदाता सूची को सही और अद्यतन रखने के लिए है।